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बेफजूल के इस्तिहार (टेम्पलेट्स)- Contest

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यूँ तो इस्तिहार के अनेकों फायदे हैं और इस्तिहार के द्वारा आज के समय में प्रचार- प्रसार करना बेहद आसान है जगह-जगह लगे इस्तिहारों- पोस्टरों से बड़ी- बड़ी कम्पनियाँ, राजनितिक पार्टियां अपने प्रचार- प्रसार को बढ़ावा देते रहते हैं, कभी शुभकामनाओं के लिए तो कभी वोट के लिए कभी स्कूल तो कभी नौकरी के लिए और ये कुछ संबंधों में काफी हद तक सहयोगी भी हैं जैसे जगह जगह लगे इस्तिहारों से अच्छे ब्रांड, अच्छे नेता अच्छे स्कूल आदि का आसानी से पता चल जाता है अधिकतर इस्तिहारों में पता टेलीफ़ोन नंबर होने से स्थान और व्यक्ति को आसानी से ढूंढा जा सकता है/
अब हम बात करते हैं बेफजूल के इस्तिहारों की जो हमें आमतौर पर सड़कों किनारे लगे खम्भों पर दिख जाता है उनमे से ज्यादातर उस कस्बे और शहरों के स्वयं के सरकार द्वारा लगाये गये होते हैं जो वर्तमान में सत्ता में होते है, जिन्हें इस्तिहार से होने वाली जनता की असुविधा से कुछ लेना देना नही होता है यहाँ तक उन्हें किसी व्यक्ति विशेष या सरकार से कोई डर नही होता इनके सुभचिन्तक इस्तिहारों को ऐसी ऐसी जगहों पर मढ़ते हैं जहाँ से टैफिक लाइटों, पुलिस के नो एंट्री जोन, रांग साइड, नो टर्न, नो पार्किंग जैसे सभी बोर्डों को आसानी से ढँक लेता है, कुछ इस्तिहार तो इतने पुराने होते हैं कि तब तक सरकार, स्कूल के सेशन, और कभी कभी तो नए साल कि होली दिवाली भी आ जाती है फिर भी बेचारे गिरते पड़ते लटके ही रहते हैं/
अगर आप शहर की लोकल एरिया सड़कों पर चलते हुए तनिक गौर करें तो देखेंगे कि आपको सड़क पर लगी ट्रैफिक लाइटों को देखने का वैसे ही प्रयत्न करना पड़ेगा जैसे करवा चौथ में औरतें चाँद को देखने का प्रयत्न करती हैं और कभी कभी तो आपको तब पता चलता है जब आपको ट्रैफिक पुलिस रोक कर आपसे लाइसेंस मांगता है और बोलता है आप नो एंट्री जोन या रांग साइड में हैं, या आपको कभी कभी परेशान भी नही होना पड़ता जब आप देखेंगे कि ट्रैफिक लाइटें अपने अथक प्रयासों से इस्तिहारों के बीच से आपको खुद ही देखने की कोशिस करती हों और बताना चाहतीं हो ये लो अब मै लाल रंग कि हो गयी और ये लो मै अब हरे रंग की हो गयी, और कभी- कभी तो आपको सामने दो वाहनों के लड़ने पर खुद ही पता चल जाता है कि लाइटें किस रंग कि हैं/
तात्पर्य यह है कि सरकार और संस्थाओं द्वारा चलायी जाने वाली योजनाओं का प्रचार- प्रसार अति आवश्यक हैं परंतु यदि सहायक इस्तिहार ही हमारे लिए असुविधाजनक बन जाएँ और इन असुविधा जनक कार्यों में कोई विशेष संस्था या सरकार स्वयं भागीदार हो तो ? आप अपने आपको ट्रैफिक सिग्नल पर सुरक्षित कैसे महसूस कर सकते हैं और खुद को रोज हो रहे लाखों सड़क दुर्घटनाओं से कैसे बचा सकते हैं/
इन इस्तिहार लगाने वाले लोगों को ट्रेनिंग और निर्देश कि विशेष आवश्यकता है जिससे फेस्टिवल और बधाई के उपरांत या एक तो हफ़्तों में उन्हें उतार दिया जाये जिससे आम जनता को असुविधा न हो, इस्तिहारों को समय रहते उतार लेने से शहर कि शोभा और स्वछता में भी खासा योगदान हो सकता है, अगर सरकार चाहे तो वो इस्तिहारों के छोटे -छोटे स्थान भी निर्धारित कर सकती है/ इस एक छोटे से कदम से लाखों लोगों कि जिंदगियां बचायी जा सकती हैं/

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